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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।

उत्तर -

अत्यधिक आरम्भिक काल से ही ग्रामीण नेतृत्व में अनेक ऐसी विशेषताओं का समावेश रहा है जो वृहत् समूहों में देखने को नहीं मिलती। यह सच है कि वर्तमान युग में ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताओं में अत्यधिक परिवर्तन हो चुके हैं। लेकिन फिर भी ग्रामीण नेतृत्व का परिवर्तित स्वरूप अपने परम्परागत रूप से अधिक दर नहीं हट सका है - ये विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

1. ग्रामीण नेतृत्व में रक्त सम्बंधों की प्रधानता - परम्परागत रूप से ग्रामीण नेतृत्व के अंतर्गत रक्त समूहों की स्थिरता तथा उनकी प्रधानता स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। प्रत्येक गाँव का एक मुखिया अथवा पंच अवश्य होते हैं लेकिन व्यक्तियों के व्यवहार उस नेता से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो उन्हीं के वंश अथवा स्वजन समूह का प्रतिनिधित्व करता हो। व्यावहारिक रूप से प्रत्येक ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्र में सभी रक्त समूहों का अपना-अपना पृथक मुखिया होता है तथा उसका कार्य अपने समूह के सभी सदस्यों के विवादों का निपटारा करना और उनका मार्ग निर्देशन करना होता है। इसके फलस्वरूप नेतृत्व के आधार पर ग्रामीण जीवन अनेक गुटों में अवश्य विभाजित हो जाता है लेकिन समूह के सदस्यों पर नियंत्रण रखने के लिये विभाजित नेतृत्व अधिक सफल भी प्रमाणित हुआ है।

2. आनुवंशिकता का प्रभाव - ग्रामीण नेतृत्व सदैव ही अपनी प्रकृति से अनुवांशिक रहा है। इसका तात्पर्य है कि किसी समूह अथवा संपूर्ण गाँव में जिस व्यक्ति को एक बार नेता अथवा मुखिया का पद प्राप्त हो जाता है, वह साधारणतया उसी की आगामी पीढ़ियों को हस्तांतरित होता रहता है। नेतृत्व में परिवर्तन केवल तभी होता है जब नेता ग्रामीण आकांक्षाओं को पूर्ण न कर सके !

3. नेतृत्व जातियों में विभक्त - परम्परागत रूप से भारतीय ग्रामों में जाति पंचायत का अत्यधिक प्रभाव होने के कारण प्रत्येक जाति का अपना-अपना पृथक नेता होता था। एक जाति के नेता का दूसरी जाति के लिये कोई महत्व नहीं था। यद्यपि अनेक अवसरों पर विभिन्न जातियों के नेता मिलकर गाँव में सार्वजनिक जीवन से सम्बंधित निर्णय लिया करते थे। साधारणतया विभिन्न जातियों के मुखिया मिलकर एक सर्वसम्मत नेता के अधीन रहकर कार्य करते थे। संपूर्ण गाँव के नेता का पद भी जाति व्यवस्था के ही आधार पर किसी उच्च जाति के व्यक्ति को प्राप्त होता था।

4. अनौपचारिक नियंत्रण की प्रधानता - अनौपचारिक नियंत्रण परंपरागत ग्रामीण नेतृत्व की एक प्रमुख विशेषता है। नियन्त्रण को स्थापित करने के लिय हास्य व्यंग्य, आलोचना, तिरस्कार तथा सामाजिक बहिष्कार आदि ऐसे साधन होते हैं जिनका ग्रामीण नेता के द्वारा व्यापक उपयोग किया जाता था। कुछ विशेष अवसरों पर गाँव के नेता को यह भी अधिकार था कि वह ग्रामीणों को शारीरिक दण्ड दे सके। लेकिन यह कार्य साधारणतया जमींदारों की प्रभुता से ही सम्बद्ध था।

5. नेतृत्व का सामाजिक स्वरूप - भारत में एक लम्बे समय तक ग्रामीण जीवन मूल रूप से सामाजिक सांस्कृतिक जीवन था, आर्थिक राजनीतिक नहीं। इस दृष्टिकोण से ग्रामीण नेतृत्व के अतंर्गत उन्हीं कार्यों का विशेष महत्व था जिनका सम्बंध प्रथाओं, कर्मकाडों, सामाजिक व्यवहारों तथा समाज के आदर्श नियमों के पालन से था। इस दृष्टिकोण से गाँव के नेता की प्रतिष्ठा का मूल्यांकन उसकी राजनीतिक शक्ति के आधार पर नहीं बल्कि उसकी सामाजिक सांस्कृतिक प्रवीणता के आधार पर किया जाता था।

6. नेतृत्व में पारस्परिकता - ब्राउन ने यह स्पष्ट किया है कि भारत के ग्रामीण नेतृत्व में पारस्परिकता एक प्रमुख तत्व रहा है। इसका तात्पर्य है कि गाँवों में नेता का अपने अनुयायियों पर प्रभाव एकपक्षीय नहीं होता बल्कि सामान्य ग्रामीणों के विचार तथा भावनाएँ नेता के व्यवहार को भी बहुत बड़ी सीमा तक प्रभावित करती हैं। इसका तात्पर्य है कि गाँव में नेता तथा अनुयायी एक समन्वित इकाई है।

7. नेतृत्व में प्रतिष्ठा की प्रधानता - परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व में प्रतिष्ठा का तत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है इस प्रतिष्ठा के निर्धारण में व्यक्ति की नैतिकता, कार्य कुशलता, दूरदर्शिता तथा सेवा की भावना का विशेष महत्व रहा है। अपनी इसी नैतिक शक्ति के आधार पर नेता सामान्य ग्रामीणों को किसी विशेष प्रकार का आचरण करने को बाध्य करता है। ग्रामीण नेता अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखना सर्वाधिक अनिवार्य समझता है और इस दृष्टिकोण से वह कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहता जो सार्वजनिक आकांक्षाओं के प्रतिकूल हो।

8. नेतृत्व में सर्वांगीणता - ग्रामीण नेतृत्व का स्वरूप नगरों के समान विशेषीकृत नहीं होता। यहाँ नेता अपने गाँव के लिये वे सभी कार्य करता है जिनकी ग्रामीणों को आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ - विभिन्न योजनाएँ बनाना, नीतियों का निर्धारण करना, विवाह तथा उत्सवों के समय आवश्यक प्रबंध करना, विशेषज्ञ के रूप में कार्य करना, सदस्यों के व्यवहारों पर नियंत्रण लगाना, पंच एवं मध्यस्थ के रूप में कार्य करना तथा किसी विशेष अवसर पर संपूर्ण गाँव का प्रतिनिधित्व करना, नेता के विभिन्न कार्य हैं। यही कारण है कि ग्रामीण जीवन में नेता एक सत्ताधिकारी नहीं होता बल्कि समूह का आदर्श होता हैं।

भारत में ग्रामीण नेतृत्व की उपर्युक्त विशेषताओं से स्पष्ट है कि यहाँ। नेतृत्व का स्वरूप व्यापक रूप से अनौपचारिक ही रहा है। यह अनौपचारिक नेतृत्व न केवल ग्रामीण सरंचना के अनुकूल था बल्कि ग्रामीण समस्याओं के समाधान तथा विभिन्न जाति समूहों की एकता के लिये भी इसने रचनात्मक योगदान दिया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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